कड़वे बोल

मीठा खाकर बोले कड़वे बोल

झूठे की कभी न खोले पोल

इधर-उधर की लगाकर बैठे

ऐसी रसना का है क्या मोल

चिड़ियाॅं रानी

गुपचुप बैठी चिड़ियाॅं रानी

चल कर लें दो बातें प्यारी

कुछ तुम बोलो, कुछ मैं बोलूं

मन की बातें कर लें सारी

मौसम के रॅंग

सहमी-सहमी धूप है, खिड़कियों से झांक रही

कुहासे को भेदकर देखो घर के भीतर आ रही

पग-पग चढ़ती, पग-पग रुकती, कहाँ चली ये

पकड़ो-पकड़ो भाग न जाये, मेरे हाथ न आ रही।

दुख-सुख तो आने-जाने हैं
मिल जाये जब मज़बूत सहारा राहें सरल हो जाती हैं

कौन है अपना, कौन पराया, ज़रा पहचान हो जाती है

दुख-सुख तो आने-जाने हैं, किसने देखा, किसने समझा

जब हाथ थाम ले कोई, राहें समतल,सरल हो जाती हैं।

तू कोमल नार मैं तेरा प्यार
हाथ जोड़ता हूँ तेरे, तेरी चप्पल टूट गई, ला मैं जुड़वा लाता हूँ

न जा पैदल प्यारी, साईकल लाया मैं, इस पर लेकर जाता हूँ

लोग न जाने क्या-क्या समझेंगे, तू कोमल नार मैं तेरा प्यार

आजा-आजा, आज तुझे मैं लाल-किला दिखलाने ले जाता हूँ

माँ की ममता
जीवन के सुखमय पल बस माँ के संग ही होते हैं

नयनों से बरसे नेह, संतति के सुखद पल होते हैं

हिलमिल-हिलमिल बस जीवन बीता जाता यूँ ही

किसने जाना, माँ की ममता में अनमोल रत्न होते हैं।

वन्दन करें अभिनन्दन करें

देश की आन, शान, बान के लिए शहीद हुए, मोल न लगाईये

उनकी दिखाई राह पर चल सकें, बस इतनी सोच ही बढ़ाईये

भारत की सुन्दर धरा को निखार सकें, इतना विचार कीजिए

वन्दन करें, अभिनन्दन करें, उनकी शान में शीश ही झुकाईये

 

आंख की कमान तान

आंख की कमान तान

मेरी ले यह बात मान

रखना नज़र टेढ़ी सदा

साथ रखना खुले कान

दो पंछी

गुपचुप, छुपछुपकर बैठे दो पंछी

नेह-नीर में भीग रहे दो पंछी

घन बरसे, मन हरषे, देख रहे

साथ-साथ बैठे खुश हैं दो पंछी

बस यूं ही
बेमौसम मन में बिजली कड़के

जब देखो दाईं आंख है फ़ड़के

मन यूं ही बस डरने लगता है

आंखों से तब गंगा-यमुना बरसे

वेदनाओं की गांठें खोल

बांध ज़िन्दगी में पीड़ा की गठरियों को

कुछ हंस-बोल ले, खोल दे गठरियों को

वेदनाओं की गांठें खोल, कहीं दूर फेंक

तोड़ फेंक झूठे रिश्तों की गठरियों को

इच्छाएं अनन्त
इच्छाएं अनन्त, फैली दिगन्त

पूर्ण होती नहीं, भाव भिड़न्त 

कितनी है भागम-भाग यहां

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