इस मौसम में

इस मौसम में कहाॅं चली तू ऐसे छोरी।

देख मौसम कैसा काला-काला होरी

पुल लचीला, रात अॅंधेरी

जल गहरा है, गिर जाईयो छोरी।

बहकी-बहकी-सी चल रही

लिए लालटेन हाथ।

बरसात आई, बिजली कड़की,

ले लेती किसी को साथ।

दूर से देखे तुझे कोई

तो डर जायेगा छोरी।

फिर घर की बत्ती भी बंद की

बिल आयेगा बहुत, कौन भरेगा गोरी।