बसन्त के फूल खिलें
फूलों के बसन्त की
प्रतीक्षा नहीं करती मैं
मन में बसन्त के फूल खिलें
बस इतना ही चाहती हूं मैं
जीवन की राहों में
कदम-ताल करते चलें
मन में उमंग
भावों में तरंग
बगिया में हर रंग
और तुम संग
सुनहरे रंगों की लकीर
आप ही खिंच जाती है
ज़िन्दगी में
तो और क्या चाहिए भला।