सूर्य उत्तरायण हो गये आज

सूर्यदेव उत्तरायण हो गये आज।

दिन बड़े होने लगे,रातें छोटी।

प्रकाश बढ़ने लगता है

और अंधेरी रातों का डर

कम होने लगता है,

और प्रकाश के साथ

सकारात्मकता का बोध

होने लगता है।

कथा है कि

भीष्म पितामह ने

प्रतीक्षा की थी

देह-त्याग के लिए

सूर्य के उत्तारयण की।

हमारे ग्रंथ कहते हैं

कि उत्तरायण के प्रकाश में

देह-त्याग करने वालों को

पुनर्जन्म नहीं लेना पड़ता,

मुक्त हो जाते हैं वे

जन्म-मरण के जाल से।

.

मैं नहीं चाहती मुक्ति।

चाहती हूॅं

जन्म मिले बार-बार,

न मरने से डरती हूॅं

न जीने से।

अच्छा लगता है

एक इंसान होना,

इच्छाओं के साथ जीना,

कामनाओं को पूरा करना।

जो इस बार न कर पाई

अगले जन्म में

या उससे भी

अगले जन्म में करुॅं,

बार-बार जीऊॅं,

बार- बार मरुॅं।

न जीने से डरती हूॅं

न मरने से।