शब्द अधूरे-से

प्रेम, प्यार

दो टूटू-फूटे-से शब्द

अधूरे-से लगते हैं।

पता नहीं क्यों

हम तरसते रहते हैं

इन अधूरे शब्दों को

पूरा करने के लिए

ज़िन्दगी-भर।

कहाॅं समझ पाता है कोई

हमारी भावनाओं को।

कहाॅं मिल पाता है कोई

जो इन

अधूरे शब्दों को

पूरा करने के लिए

अपना समर्पण दे।

यूॅं ही बीत जाती है

ज़िन्दगी।