तेरा साथ

तेरा साथ

छूटे कभी हाथ।

सोचती थी मैं,

पर

कब दिन ढला

कब रात हुई,

डूबे चंदा-तारे

ऐसी ही कुछ बात हुई।

*-*

तेरा साथ

हाथों में हाथ।

कांटों की चुभन

मन में कोई शूल

ऐसी ही ज़िन्दगी

सरगम

टूटे कभी,

होगा क्या ऐसा।