दूध-घी की  नदियाॅं

कहते हैं

भारत में कभी

दूध-घी की

नदियाॅं बहती थीं

और किसी युग में

दूध-दहीं की

मटकियाॅं फोड़ने की

परम्परा थी

और उस युग की महिलाएॅं

इसका खूब आनन्द लिया करती थीं।

ये सब

शायद मेरे जन्म से

पहले की बातें रही होगी।

क्योंकि हमने तो

दूध को

जब भी देखा

प्लास्टिक की थैलियों में देखा।

इतना ज़रूर है

कि जब कभी थैली फ़टी है

तो दूध की नदियाॅं और

माॅं की डांट साथ बही है।

वैसे सुना है

दूध बड़ा उपयोगी पेय है

बहुत कुछ देता है

बस, ज़रा ध्यान से

उसे मथना पड़ता है

फिर बहुत कुछ निकलकर आता है।

 

वैसे दूध के

और भी

बड़े उपयोग हुआ करते हैं

इंसान को मिले न मिले,

हम सांपों को दूध पिलाते हैं

यह और बात है

कि पता नहीं लगता

कि वे कब

आस्तीन के साॅंप बन जाते हैं

और हम

कुछ भी समझ नहीं पाते हैं।