मन का ज्वार भाटा

सरित-सागर का ज्वार

आज

मन में क्यों उतर आया है

नीलाभ आकाश

व्यथित हो

धरा पर उतर आया है

चांद लौट जायेगा

अपने पथ पर।

समय के साथ

मन का ज्वार भी

उतर जायेगा।