हिम्मतों का सफ़र है ज़िन्दगी
हिम्मतों का सफ़र है ज़िन्दगी।
राहों में खतरा है ज़िन्दगी।
पर्वतों-सी बाधाएं झेलती है ज़िन्दगी।
साहस और श्रम का नाम है ज़िन्दगी।
कहते हैं जहां चाह वहां राह,
यह बात यहां बताती है ज़िन्दगी।
कहीं गहरी खाई और कहीं
सिर पर पहाड़-सी समस्याओं से
डराती है ज़िन्दगी।
राह देना
और सही राह लेना
समझाती है ज़िन्दगी।
चलना सदा सम्हल कर
यह समझाती है जिन्दगी।
एक गलत मोड़
एक अन्त का संकेत
दे जाती है ज़िन्दगी।
कहां समझ पाते हैं हम
आंखें बोलती हैं
कहां पढ़ पाते हैं हम
कुछ किस्से खोलती हैं
कहां समझ पाते हैं हम
किसी की मानवता जागी
किसी की ममता उठ बैठी
पल भर के लिए
मन हुआ द्रवित
भूख से बिलखते बच्चे
बेसहारा अनाथ
चल आज इनको रोटी डालें
दो कपड़े पुराने साथ।
फिर भूल गये हम
इनका कोई सपना होगा
या इनका कोई अपना होगा,
कहां रहे, क्या कह रहे
क्यों ऐसे हाल में है
हमारी एक पीढ़ी
कूड़े-कचरे में बचपन बिखरा है
किस पर डालें दोष
किस पर जड़ दें आरोप
इस चर्चा में दिन बीत गया !!
सांझ हुई
अपनी आंखों के सपने जागे
मित्रों की महफ़िल जमी
कुछ गीत बजे, कुछ जाम भरे
सौ-सौ पकवान सजे
जूठन से पंडाल भरा
अनायास मन भर आया
दया-भाव मन पर छाया
उन आंखों का सपना भागा आया
जूठन के ढेर बनाये
उन आंखों में सपने जगाये
भर-भर उनको खूब खिलाये
एक सुन्दर-सा चित्र बनाया
फे़सबुक पर खूब सजाया
चर्चा का माहौल बनाया
अगले चुनाव में खड़े हो रहे हम
आप सबको अभी से करते हैं नमन