हर किसी में खोट ढूंढने में लगे हैं हम
अच्छाईयों से भी अब डरने लगे हैं हम
हर किसी में खोट ढूंढने में लगे हैं हम
अपने भीतर झांकने की तो आदत नहीं
औरों के पांव के नीचे से चादर खींचने में लगे हैं हम
अच्छाईयों से भी अब डरने लगे हैं हम
हर किसी में खोट ढूंढने में लगे हैं हम
अपने भीतर झांकने की तो आदत नहीं
औरों के पांव के नीचे से चादर खींचने में लगे हैं हम