हमारी सोच बिगड़ती है
न जाने कौन कह गया भलाई का ज़माना चला गया
किस राह चलें, क्यों चलें, हमें कहां कोई समझा गया
ज़माने का मिज़ाज़ न बदला है कभी, न बदलेगा कभी
हमारी सोच बिगड़ती है, यह समझने का ज़माना आ गया
न जाने कौन कह गया भलाई का ज़माना चला गया
किस राह चलें, क्यों चलें, हमें कहां कोई समझा गया
ज़माने का मिज़ाज़ न बदला है कभी, न बदलेगा कभी
हमारी सोच बिगड़ती है, यह समझने का ज़माना आ गया