सोच हमारी लूली-लंगड़ी
विचार हमारे भटक गये
सोच हमारी लूली-लंगड़ी
टांग उठाकर भाग लिए
पीठ मोड़कर चल दिये
राह छोड़कर चल दिये
राहों को हम छोड़ चले
चिन्तन से हम भाग रहे
सोच-समझ की बात नहीं
सब मिल-जुलकर यही करें
गलबहियां डालें घूम रहे
सत्य से हम भाग रहे
बोल हमारे कुंद हुए
पीठ पर हम वार करें
बच-बचकर चलना आ गया
दुनिया कुछ भी कहती रहे
पीठ दिखाना आ गया
बच-बचकर रहना आ गया।
चरण-चिन्ह हम छोड़ रहे
पीछे-पीछे जग आयेगा