रोशनी की परछाईयां भी राह दिखा जाती हैं

अजीब है इंसान का मन।

कभी गहरे सागर पार उतरता है।

कभी

आकाश की उंचाईयों को

नापता है।

 

ज़िन्दगी में अक्सर

रोशनी की परछाईयां भी

राह दिखा जाती हैं।

ज़रूरी नहीं

कि सीधे-सीधे

किरणों से टकराओ।

फिर सूरज डूबता है,

या चांद चमकता है,

कोई फ़र्क नहीं पड़ता।

ज़िन्दगी में,

कोई एक पल

तो ऐसा होता है,

जब सागर-तल

और गगन की उंचाईयों का

अन्तर मिट जाता है।

 

बस!

उस पल को पकड़ना,

और मुट्ठी में बांधना ही

ज़रा कठिन होता है।

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कविता  सूद 1.10.2020

चित्र आधारित रचना

यह अनुपम सौन्दर्य

आकर्षित करता है,

एक लम्बी उड़ान के लिए।

रंगों में बहकता है

किसी के प्यार के लिए।

इन्द्रधनुष-सा रूप लेता है

सौन्दर्य के आख्यान के लिए।

तरू की विशालता

संवरती है बहार के लिए।

दूर-दूर तम फैला शून्य

समझाता है एक संवाद के लिए।

परिदृश्य से झांकती रोशनी

विश्वास देती है एक आस के लिए।