रेखाएं अनुभव की अनुभूत सत्‍य की

रेखाएं

कलम की, तूलिका की,

रचती हैं कुछ भाव, कोई चित्र।

किन्‍तु 

रेखाएं अनुभव की, अनुभूत सत्‍य की,

दिखती तो दरारों-सी हैं

लेकिन झांकती है

इनके भीतर से एक रोशनी

देती एक गहन जीवन-संदेश।

जिसे पाने के लिए, समझने के लिए

समर्पित करना पड़ता है

एक पूरा जीवन

या एक पूरा युग।

ऐसे हाथ जब आशीष में उठते हैं

तब भी

और जब अभिवादन में जुड़ते हैं

तब भी

नतमस्‍तक होता है मन।