रस और गंध और पराग
ज़्यादा उंची नहीं उड़ती तितली।
बस फूलों के आस पास
रस और गंध और पराग
बस इतना ही।
समेट लिया मैंने
अपनी हथेलियों में
दिल से।
ज़्यादा उंची नहीं उड़ती तितली।
बस फूलों के आस पास
रस और गंध और पराग
बस इतना ही।
समेट लिया मैंने
अपनी हथेलियों में
दिल से।