मिलन की घड़ियाॅं
चुभती हैं
मिलन की घड़ियाॅं,
जो यूॅं ही बीत जाती हैं,
कुछ चुप्पी में,
अनबोले भावों में,
कुछ कही-अनकही
शिकायतों में,
बातों की छुअन
वादों की कसम
घुटता है मन
और मिलन की घड़ियाॅं
बीत जाती हैं।
चुभती हैं
मिलन की घड़ियाॅं,
जो यूॅं ही बीत जाती हैं,
कुछ चुप्पी में,
अनबोले भावों में,
कुछ कही-अनकही
शिकायतों में,
बातों की छुअन
वादों की कसम
घुटता है मन
और मिलन की घड़ियाॅं
बीत जाती हैं।