नयानाभिराम रूप रघुराई

राम-लखन संग-संग चले, अयोध्या नगरी मुस्काई

दीपों की आभा से आलोकित सब जन-मन हरषाई

हर मन में उल्लास है, मधुर गान से नभ गूंज रहा 

गगन-धरा सब निरख रहे, नयानाभिराम रूप रघुराई