न लिख पाने की पीड़ा
भावों का बवंडर उठता है मन में, कुछ लिख ले, कहता है
कलम उठती है, भाव सजते हैं, मन में एक लावा बहता है
कहीं से एक लहर आती है, सब छिन्न-भिन्न कर जाती है
न लिख पाने की पीड़ा कभी कभी यहां मन बहुत सहता है
भावों का बवंडर उठता है मन में, कुछ लिख ले, कहता है
कलम उठती है, भाव सजते हैं, मन में एक लावा बहता है
कहीं से एक लहर आती है, सब छिन्न-भिन्न कर जाती है
न लिख पाने की पीड़ा कभी कभी यहां मन बहुत सहता है