दोनों अपने-अपने पथ चलें

तुम अपनी राह चलो,

मैं अपनी राह चलूंगी।

.

दोनों अपने-अपने पथ चलें

दोनों अपने-अपने कर्म करें।

होनी-अनहोनी जीवन है,

कल क्या होगा, कौन कहे।

चिन्ता मैं करती हूं,

चिन्ता तुम करते हो।

पीछे मुड़कर  न देखो,

अपनी राह बढ़ो।

मैं भी चलती हूं

अपने जीवन-पथ पर,

एक नवजीवन की आस में।

तुम भी जाओ

कर्तव्य निभाने अपने कर्म-पथ पर।

डर कर क्या जीना,

मर कर क्या जीना।

आशाओं में जीते हैं।

आशाओं में रहते हैं।

कल आयेगा ऐसा

साथ चलेगें]

हाथों में हाथ थाम साथ बढ़ेगें।