अपने बारे में क्या लिखूं। डा. रघुवीर सहाय के शब्दों में ‘‘बहुत बोलने वाली, बहुत खाने वाली, बहुत सोने वाली’’ किन्तु मेरी रचनाएं बहुत बोलने वालीं, बहुत बोलने वालीं, बहुत बोलने वालीं
उदासी तो है
चेहरे पे मुस्कान
कुछ समझे
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उदासी का क्या
कब देखी तुमने
झूठी मुस्कान