तेरी माया तू ही जाने
कभी तो चांद पलट न।
कभी तो सूरज अटक न।
रात-दिन का आभास देते,
तम-प्रकाश का भाव देते,
कभी तो दूर सटक न।
चांद को अक्सर
दिन में देखती हूं,
कभी तो सूरज
रात में निकल न।
तुम्हारा तो आवागमन है
प्रकृति का चलन है
हमने न जाने कितने
भाव बांध लिये हैं
रात-दिन का मतलब
सुख-दुख, अच्छा-बुरा
और न जाने क्या-क्या।
कभी तो इन सबसे
हो अलग न।
तेरी माया तू ही जाने
कभी तो रात-दिन से
भटक न।