जीवन यूं ही करवट लेता है
गुब्बारों में अरमानों की हवा भरी है कुछ खाली बन्द पड़े हैं
कुछ में रंग-बिरंगी आशाएं हैं, कुछ में रंगीन जल भरे हैं
कब हवा का रूख बदलेगा, हाथों से छूटेंगे फूटेंगे, पिचकेंगे
जीवन यूं ही करवट लेता है, ये क्यों न हम समझ सके हैं