छोड़ी हमने मोह-माया
नहीं करने हमें
किसी के सपने साकार।
न देखें हमारी आयु छोटी
न समझे कोई हमारे भाव।
मां कहती
पढ़ ले, पढ़ ले।
काम कर ले ।
पिता कहते
बढ़ ले बढ़ ले।
सब लगाये बैठे
बड़ी-बड़ी आस।
ले लिया हमने
इस दुनिया से सन्यास।
छोड़ी हमने मोह-माया
हो गई हमारी कृश-काया।
हिमालय पर हम जायेंगे।
वहीं पर धूनी रमायेंगे।
आश्रम वहीं बनायेंगे।
आसन वहीं जमायेंगे।
चेले-चपाटे बनायेंगे।
सेवा खूब करायेंगे।
खीर-पूरी खाएंगें।
लौटकर घर न आयेंगे।
नाम हमारा अमर होगा,
धाम हमारा अमर होगा,
ज्ञान हमारा अमर होगा।