विप्लव की चिन्ता मत करना
धीरज की भी
सीमाएँ होती हैं,
बांधकर रखना।
पर इतनी ही
बांध कर रखना
कि दूसरे
तुम्हारी सीमाओं को
लांघ न पायें।
और
तुम जब चाहो
अपनी सीमाओं के
बांध तोड़ सको।
फिर
विप्लव की चिन्ता मत करना।
धीरज की भी
सीमाएँ होती हैं,
बांधकर रखना।
पर इतनी ही
बांध कर रखना
कि दूसरे
तुम्हारी सीमाओं को
लांघ न पायें।
और
तुम जब चाहो
अपनी सीमाओं के
बांध तोड़ सको।
फिर
विप्लव की चिन्ता मत करना।