अनचाही दस्तक

श्रवण-शक्ति

तो ठीक है मेरी

किन्तु नहीं सुनती मैं

अनचाही दस्तक।

खड़काते रहो तुम

मेरे मन को

जितना चाहे,

नहीं सुनना मुझे

यदि किसी को,

तो नहीं सुनना।

अपने मन से

जीने की

मेरी कोशिश को

तुम्हारी अनचाही दस्तक

तोड़ नहीं सकती।