ज़िन्दगी की लम्बी राहों में
साथ कोई
उम्र-भर देता नहीं है
जानते हैं हम, फिर भी
मन को मनाते नहीं हैं।
मुड़-मुड़कर देखते रहते हैं
जाने वालों को हम
भुला पाते नहीं हैं।
ज़िन्दगी की लम्बी राहों में
न जाने कितने छूट गये
कितने हमें भूल गये
याद अब कर पाते नहीं हैं।
फिर भी इक टीस-सी अक्सर
दिल में उभरती रहती है
जिसे हम नकार पाते नहीं हैं।