अपने बारे में क्या लिखूं। डा. रघुवीर सहाय के शब्दों में ‘‘बहुत बोलने वाली, बहुत खाने वाली, बहुत सोने वाली’’ किन्तु मेरी रचनाएं बहुत बोलने वालीं, बहुत बोलने वालीं, बहुत बोलने वालीं
भाई-बहन का प्यार है राखी
रिश्तों की मधुर सौगात है राखी
विश्वास का एक धागा होता है
अनुपम रिश्तों का आधार है राखी