पानी के बुलबुलों सी ज़िन्दगी

जल के चिन्ह

कभी ठहरते नहीं

पलभर में

अपना रूप बदलकर

भाग जाते हैं

बिखर जाते हैं

तो कभी कुछ

नया बना जाते हैं।

छलक-छलक कर

बहुत कुछ कह जाते हैं

हाथों से छूने पर

बुलबुलों से

भाग जाते हैं।

लेकिन कभी-कभी

जल की बूंदें भी

बहुत गहरे

निशान बना जाती हैं

जीवन में,

बस हम अर्थ

ढूंढते रह जाते हैं।

और ज़िन्दगी

जब

कदम-ताल करती है,

तब हमारी समझ भी

पानी के बुलबुलों-सी

बिखर-बिखर जाती है।