अपनी राहें आप बनाता चल
संसार विवादों से रहित नहीं है,
उसको हाशिए पर रखता चल।
अपनी चाल पर बस ध्यान दे
औरों को अॅंगूठा दिखाता चल।
कोई क्या बोल रहा न ध्यान दे
अपने मन की सुन, गाता चल।
तेरे पैरों के नीचे की ज़मीन
खींचने को तैयार बैठे हैं लोग
न परवाह कर,
धरा ही क्या
गगन पर भी छाता चल।
आॅंधी हो या तूफ़ान
अपनी राहें आप बनाता चल।