अपने बारे में क्या लिखूं। डा. रघुवीर सहाय के शब्दों में ‘‘बहुत बोलने वाली, बहुत खाने वाली, बहुत सोने वाली’’ किन्तु मेरी रचनाएं बहुत बोलने वालीं, बहुत बोलने वालीं, बहुत बोलने वालीं
ज़िन्दगी में आस बनाये रखना
मन में तुम उमंग जगाये रखना
न निराश हो कि जीवन हार रहा
धरा में अंकुरण बनाये रखना