थक गई हूॅं मैं अब
थक गई हूॅं मैं अब
झूठे रिश्ते निभाते-निभाते।
थक गई हूॅं मैं अब
ज़िन्दगी का सच छुपाते-छुपाते।
थक गई हूॅं मैं अब
झूठ को सच बनाते-बनाते।
थक गई हूॅं मैं अब
किस्से कहानियाॅं सुनाते-सुनाते।
थक गई हूॅं मैं अब
आॅंसुओं को छुपाते-छुपाते।
थक गई हूॅं मैं अब
बिन बात ठहाके लगाते-लगाते।
थक गई हूॅं मैं अब
नाराज़ लोगों को मनाते-मनाते।
थक गई हूॅं मैं अब
चेहरे पर चेहरा लगाते-लगाते।