कैसी है ये ज़िन्दगी

बहुत लम्बी है ज़िन्दगी।

पल-पल का

हिसाब नहीं रखना चाहती।

किन्तु चाहने से

क्या होता है।

जिन पलों को

भूलना चाहती हूॅं

वे मन-मस्तिष्क पर

गहरे से

मानों गढ़ जाते हैं

और जो पल

जीवन में भले-से थे

वे कहाॅं याद आते हैं।

कैसी है ये ज़िन्दगी।