अंधेरों में रोशनी की आस
कुहासे में ज़िन्दगी धीरे-धीरे सरक रही
कहीं खड़ी, कहीं रुकी-सी आगे बढ़ रही
अंधेरों में रोशनी की एक आस है देखिए
रवि किरणें भी इस अंधेरे में राह ढूॅंढ रहीं।
कुहासे में ज़िन्दगी धीरे-धीरे सरक रही
कहीं खड़ी, कहीं रुकी-सी आगे बढ़ रही
अंधेरों में रोशनी की एक आस है देखिए
रवि किरणें भी इस अंधेरे में राह ढूॅंढ रहीं।