भोर की आस
चिड़िया आई
कहती है
भोर हुई,
उठ जा, भोर हुई।
आ मेरे संग
चल नये तराने गा,
रंगों से
मन में रंगीनीयाँ ला।
चल
एक उड़ान भर
मन में उमंग ला।
धरा पर पाँव रख।
गगन की आस रख।
जीवन में भाव रख।
रात की बात कर
भोर की आस रख।
चल मेरे संग उड़ान भर।