मन की बात
रातों को
महसूस किया है कभी आपने।
कितनी भी रोशनी कर लें
कभी-कभी
अंधेरा टूटता ही नहीं।
रातें अंधेरी ही होती हैं
फिर भी
न जाने क्यों
बार-बार कह बैठते हैं
कितनी अंधेरी होती हैं रातें।
शायद हम
रात की बात नहीं करते
अपने मन की बात करते हैं।