अनिच्छाओं को रोक मत
अनिच्छाओं को रोक मत प्रदर्शित कर
कोई रूठता है तो रूठने दे, तू मत डर
कब तक औरों की खुशियों को ढोते रहेंगे
जो मन न भाये उससे अपने को दूर रख
अनिच्छाओं को रोक मत प्रदर्शित कर
कोई रूठता है तो रूठने दे, तू मत डर
कब तक औरों की खुशियों को ढोते रहेंगे
जो मन न भाये उससे अपने को दूर रख