कोहरे में दूरियाँ
कोहरे में दूरियाँ दिखती नहीं हैं, नज़दीकियाँ भी तो मिटती नहीं हैं
कब, कहाँ, कौन, कैसे टकरा जाये, दृष्टि भी स्पष्ट टिकती नहीं है
वेग पर नियन्त्रण, भावनाओं पर नज़र रहे, रुक-रुककर चलना ज़रा
यही अवसर मिलता है समझने का, अपनों की पहचान मिटती नहीं है