सत्य को नकार कर
झूठ, छल-कपट से नहीं चलती है ज़िन्दगी
सत्य को नकार कर नहीं बढ़ती है ज़िन्दगी
क्यों घोलते हो विषबेल अकारण ही शब्दों की
तुम्हारे इस बुरे व्यवहार से टूटती है ज़िन्दगी
झूठ, छल-कपट से नहीं चलती है ज़िन्दगी
सत्य को नकार कर नहीं बढ़ती है ज़िन्दगी
क्यों घोलते हो विषबेल अकारण ही शब्दों की
तुम्हारे इस बुरे व्यवहार से टूटती है ज़िन्दगी