अधिकार माॅंगे
कहने को कोई कुछ भी कहे, कर्म प्रतिफल माॅंगे
धन, परिश्रम, समय फ़लित, उसका अधिकार माॅंगे
कर्म कर फल की चिन्ता न कर, बस कहने की बात
मेरे परिश्रम का फल कोई और ले, तब न्याय माॅंगें।
कहने को कोई कुछ भी कहे, कर्म प्रतिफल माॅंगे
धन, परिश्रम, समय फ़लित, उसका अधिकार माॅंगे
कर्म कर फल की चिन्ता न कर, बस कहने की बात
मेरे परिश्रम का फल कोई और ले, तब न्याय माॅंगें।