दीपावली पर्व
दीपावली एक ऐसा पर्व जिसकी बात करते ही चेहरे पर मुस्कान आ जाती है और मन में उल्लास। न जाने कितने पर्व मनाए जाते हैं हमारे देश में, किन्तु सर्वाधिक आकर्षण एवं सौन्दर्य का यह पर्व जीवन में रंग भर देता है।
वर्तमान में दीपावली के साथ आने वाले अन्य पर्वों को मिलाकर पंचदिवसीय पर्व के नाम से भी सम्बोधित किया जाता है। पहले धनतेरस, छोटी दीपावली, बड़ी दीपावली, गोवर्धन पूजा और अन्त में भाई-दूज। पर्वों की यह श्रृंखला केवल परिवार में ही नहीं, समाज में भी सम्बन्धों एवं नेह की श्रृंखला बन जाती है। पर्व से पूर्व भी और उपरान्त भी, लम्बे समय तक इन पर्वों की स्मृतियां, सम्बन्धों की मधुरता और नयेपन का भाव जीवन को मुखरित रखते हैं।
दीपावली क्यों मनाई जाती है, कैसे मनाई जाती है, पूजन विधि कैसी होती है, सब जानते हैं। हम इतना कह सकते हैं कि आधुनिकता ने जहां हमारा परिवेश, वेशभूषा, खान-पान एवं सामाजिकता को प्रभावित किया है वहां ये महत्वपूर्ण पर्व भी इस परिवर्तन से अछूते नहीं रह पाये। हां, यह कह सकते हैं कि धर्म, पूजा, विश्वास, परम्पराएं सभी आज भी जीवन्त हैं, केवल व्यवहार में परिवर्तन आया है।
पहले समय में जहां सयुंक्त परिवारों में दीपावली की तैयारी महीनों पहले ही आरम्भ हो जाती थी, अब बाज़ार पर आश्रित हो गई है।
कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाने वाला यह पर्व भारत के सबसे बड़े और सर्वाधिक महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। वास्तव में दीपावली (संस्कृत दीपावलिः दीप $ आवलि = पंक्ति अर्थात् पंक्ति में रखे हुए दीपक उत्तरी गोलार्ध में प्रतिवर्ष मनाया जाने वाला एक पौराणिक सनातन उत्सव है। आध्यात्मिक रूप से यह अन्धकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है।
भारतवर्ष में मनाए जाने वाले सभी पर्वों में दीपावली का सामाजिक और धार्मिक दोनों दृष्टि से अत्यधिक महत्त्व है। इसे दीपोत्सव भी कहते हैं। तमसो मा ज्योतिर्गमय अर्थात (हे भगवान! मुझे अन्धकार से प्रकाश की ओर ले जाइए। यह उपनिषदों की आज्ञा है। इसे सिख, बौद्ध तथा जैन धर्म के लोग भी मनाते हैं। जैन धर्म के लोग इसे महावीर के मोक्ष दिवस के रूप में मनाते हैं तथा सिख समुदाय इसे बन्दी छोड़ दिवस के रूप में मनाता है।
भारतीयों का विश्वास है कि सत्य की सदैव जीत होती है और असत्य का नाश होता है। दीपावली यही चरितार्थ करती है- असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय। दीपावली स्वच्छता व प्रकाश का पर्व है।
हमारे अधिकांश पर्व बदलते मौसम के सूचक हैं। दीपावली भी ऐसी ही पर्व है। ग्रीष्म एवं वर्षा के समापन के साथ शीत ऋतु की आहट यह पर्व अपने साथ लेकर आता है।
इस रूप में घरों में स्वच्छता के साथ ऋतु-परिवर्तन की तैयारी भी हो जाती है। पुराने का निष्पादन एवं नवीनता का आग्रह इस पर्व की बहुत बड़ी विशेषता है। परिवार पूरे वर्ष प्रतीक्षा करते हैं कि इस वर्ष नया क्या लाना है और दीपावली पर ही लाना है। कपड़े, घर का सामान एवं साज-सज्जा विशेष आकर्षण का केन्द्र रहते हैं। अपनों को उपहार एवं मिष्ठान्न देकर हम सम्बन्धों को नया रूप देने का प्रयास करते हैं।
इस पर्व की एक अन्य विशेषता यह कि यह पर्व हमारी तीन-तीन पीढ़ियों की भावनाओं को संजोकर चलता है। भारतीयता का यह रंग जो इस पर्व में देखने को मिलता है वह है संयुक्त परिवार का आनन्द और मिलन। आज के समय में बच्चे अक्सर घरों से दूर पराये शहरों में काम एवं व्यवसाय के लिए बस जाते हैं किन्तु दीपावली के अवसर पर सब अपने घरों को लौट आते हैं। वास्तविक उत्सव यही होता है जहां तीन पीढ़ियां एक साथ इस उत्सव को मनाती हैं और पर्वों में तीन ही रंग देखने को मिलते हैं। माता-पिता प्राचीन परम्पराओं के पालन की ओर ध्यान देते हैं, घी के दीपक, लक्ष्मी-गणेश-पूजन, रंगोली से घर को सजाना, पूजा की विविध सामग्री से मन्दिर की शोभा, विविध मिष्ठान्न, शगुन का लेन-देन, परिचितों को उपहार, बच्चों को नये कपड़े एवं उनकी पसन्द के खिलौने और अन्य उपहार, अपनी प्राचीन परम्पराओें के महत्व से बच्चों को परिचित करवाना, परिवारों में कई दिन तक आनन्द का वातावरण बना रहता है। बेटे-बहुएं उनकी इच्छानुसार पूजा-विधि करते हुए, आधुनिकता के साथ उन्हें जोड़ते हैं और बच्चे प्राचीनता के प्रति उत्सुक नवीनता के आग्रही, आकर्षक लड़ियों, नये तरह के पटाखों, मिठाई के साथ-साथ चाॅकलेट, तरह-तरह के घर के बने और बाहर के भोजन का आनन्द लेते हैं।
यही वास्तविक भारतीयता और भारतीय पर्वों की पहचान है।
वर्तमान में धनतेरस एवं दीपावली के शुभ अवसर पर वाहन एवं स्वर्ण की खरीददारी सबसे अधिक की जाती है। बाज़ारीकरण, व्यवसायीकरण एवं विज्ञापनों की दुनिया ने हमारे पर्वों को एक नये रंग में बदल दिया है। दिनों दिन की तैयारी अब पलभर में हो जाती है। मिट्टी के दीपक का स्थान डिज़ाईनर मोमबत्तियों एवं विद्युत लड़ियों ने ले लिया है।
यह हमारे लिए गर्व की बात है कि विदेशों में भी दीपावली पर्व अत्यन्त हर्षोल्लास एवं धार्मिक रीति से मनाया जाता है एवं अनेक देशों में भारत की ही भांति सरकारी अवकाश भी होता है।
दीपावली के दिन नेपाल, भारत,, श्रीलंका, म्यांमार, मारीशस, गुयाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, सूरीनाम, मलेशिया, सिंगापुर, फिजी, पाकिस्तान और औस्ट्रेलिया की बाहरी सीमा पर क्रिसमस द्वीप पर एक सरकारी अवकाश होता है।