पहाड़ों की टेढ़ी-मेढ़ी  पगडण्डिया

पहाड़ों की टेढ़ी-मेढ़ी

संकरी पगडण्डियाॅं

जीवन में उतर आईं,

सीधे-सादे रास्ते

अनायास ही

मनचले हो गये।

कूदते-फाॅंदते

जीवन में आते रहे

उतार-चढ़ाव

और हम

आगे बढ़ते रहे।

फ़िसलन बहुत हो जाती है

जब बरसता है पानी

गिरती है बर्फ़

रुई के फ़ाहों-सी,

आॅंखों को

एक अलग तरह की

राहत मिलती है।

जीवन में

टेढ़ेपन का

अपना ही आनन्द होता है।