लाभ के पीछे दौड़ रहे
छेड़-छेड़ की आदत बुरी कौन समझाए किसको
सब अपने हित में लगे रहें कौन हटाए किसको
पर्वत रौंद दिये, वृक्ष खो गये, पशु-पक्षी रहे नहीं
लाभ के पीछे दौड़ रहे, कौन रोक सका किसको
छेड़-छेड़ की आदत बुरी कौन समझाए किसको
सब अपने हित में लगे रहें कौन हटाए किसको
पर्वत रौंद दिये, वृक्ष खो गये, पशु-पक्षी रहे नहीं
लाभ के पीछे दौड़ रहे, कौन रोक सका किसको