हादसे

हादसे

ज़िन्दगी के नहीं होते

ज़िन्दगी ही कभी-कभी

हादसा बनकर रह जाती है।

सारे दर्शन, फ़लसफ़े, उपदेश

धरे के धरे रह जाते हैं

और ज़िन्दगी

पता नहीं

कहाॅं की कहाॅं निकल जाती है।

कोई मील-पत्थर

कोई दिशा-निर्देश काम नहीं आते

यूॅं ही

लुढ़कते, उबरते,

गिरते-उठते

ज़िन्दगी निकल जाती है।

जाने कौन कह गया

ज़िन्दगी हसीन है

ज़िन्दगी ख्वाब है

ज़िन्दगी प्यार है।

 

प्यारे, सच बोलें तो

ज़िन्दगी हादसों का सफ़र है।