चंगू ने मंगू से पूछा
चंगू ने मंगू से पूछा
ये क्या लेकर आई हो।
मंगू बोली,
इंसानों की दुनिया में रहते हैं।
उनका दाना-पानी खाते हैं।
उनका-सा व्यवहार बना।
हरदम
बुरा-बुरा कहना भी ठीक नहीं है।
अब
दूर-दूर तक वृक्ष नहीं हैं,
कहां बनायें बसेरा।
देखो गर्मी-सर्दी,धूप-पानी से
ये हमें बचायेगा।
पलट कर रख देंगे,
तो बच्चे खेलेंगे
घोंसला यहीं बनायेंगे।
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चंगू-मंगू दोनों खुश हैं।