काहे तू इठलाय

 

हाथों में कमान थाम, नयनों से तू तीर चलाय।

हिरणी-सी आंखें तेरी, बिन्दिया तेरी मन भाय।

प्रत्यंचा खींच, देखती इधर है, निशाना किधर है,

नाटक कंपनी की पोशाक पहन काहे तू इठलाय।