काश! यह दुनिया कोई सपना होती

काश!

यह दुनिया कोई सपना होती,

न तेरी होती न मेरी होती।

न किस्से होते

न कोई कहानी होती।

न झगड़ा, न लफ़ड़ा।

न मेरा न तेरा,

ये दुनिया कितनी अच्छी होती।

न जात-पात,

न धर्म-कर्म, न भेद-भाव।

आकाश भी अपना,

जमीन भी अपनी होती,

बहक-बहक कर,

चहक-चहक कर,

दिन-भर मीठे गीत सुनाते।

रात-रात भर

तारों संग

टिम-टिम-टिम-टिम घूमा करते,

सबका अपना चंदा होता,

चांदनी से न कोई शिकायत  होती।

सब कुछ अपना-अपना लगता।

काश!

यह दुनिया कोई सपना होती,

न तेरी होती न मेरी होती।