सुना है अच्छे दिन आने वाले हैं
सुना है
किसी वंशी की धुन पर
सारा गोकुल
मुग्ध हुआ करता था
ग्वाल-बाल, राधा-गोपियां
नृत्य-मग्न हुआ करते थे।
वे
हवाओं से बहकने वाले
वंशी के सुर
आज लाठी पर अटक गये
जीवन की धूप में
स्वर बहक गये
नृत्य-संगीत की गति
ठहर-ठहर-सी गई
खिलखिलाती गति
कुछ रूकी-सी
मुस्कानों में बदल गई
दूर कहीं भविष्य
देखती हैं आंखें
सुना है
कुछ अच्छे दिन आने वाले हैं
क्यों इस आस में
बहकती हैं आंखें