सरस-सरस लगती है ज़िन्दगी।
जल सी भीगी-भीगी है ज़िन्दगी।
कहीं सरल, कहीं धीमे-धीमे
आगे बढ़ती है ज़िन्दगी।
तरल-तरल भाव सी
बहकती है ज़िन्दगी।
राहों में धार-सी बहती है ज़िन्दगी।
चलें हिल-मिल
कितनी सुहावनी लगती है ज़िन्दगी।
किसी और से क्या लेना,
जब आप हैं हमारे साथ ज़िन्दगी।
आज भीग ले अन्तर्मन,
कदम-दर-कदम
मिलाकर चलना सिखाती है ज़िन्दगी।
राहें सूनी हैं तो क्या,
तुम साथ हो
तब सरस-सरस लगती है ज़िन्दगी।
आगे बढ़ते रहें
तो आप ही खुलने लगती हैं मंजिलें ज़िन्दगी।