लीक पीटना छोड़ दें

 

युग बदलते हैं भाव कहां बदलते हैं

राम-रावण तो हर युग में पनपते हैं

कथाओं को घोट-घोट कर पी रहे हम]

लीक पीटना छोड़ दें तब जीवन संवरते हैं