मैं वारिस हूं अकेली अपनी तन्हाईयों की।
मैं हंसती हूं, गाती हूं।
गुनगुनाती हूं, मुस्कुराती हूं
खिलखिलाती हूं।
हंसती हूं
तो हंसती ही चली जाती हूं
बोलती हूं
तो बोलती ही चली जाती हूं
लोग कहते हैं
कितना जीवन्तता भरी है इसके अन्दर
जीवन जीना हो तो कोई इससे सीखे।
एक आवरण है यह।
झांक न ले कहीं कोई मेरे भीतर।
न भेद ले मेरे मन की गहराईयों को।
न खटखटाए कोई मेरे मन की सांकल।
छू न ले मेरी तन्हाईयों को।
न भंग हो मेरी खामोशी की चीख।
मेरी अचल अटल सम्पत्ति हैं ये।
कोई लूट न ले
मेरी जीवन भर की अर्जित सम्पदा
मैं वारिस हूं अकेली अपनी तन्हाईयों की।